Thursday, September 23, 2010

मेरा गुब्बारा

देखो मेरा गुब्बारा  इसे मैंने  फुलाया है
इसमें मैंने इतना हवा भरा की मेरे मुह का सारा हवा ही ख़तम हो गया

2 comments:

रावेंद्रकुमार रवि said...

इसका मुँह वापस अपने मुँह में रखकर

खोल देने से फिर से हवा मुँह में भर जाती है!

rashmi said...

ravi uncle ne sahi kaha....:)