sparsh
Sunday, September 19, 2010
नकलची बन्दर
जिस दिन पापा से पहले मुझे पेपर मिल जाता है उस दिन मैं भी उसी जगह बैठ कर पेपर पढता हूँ . आखिर पापा की कुर्सी मुझे ही ही मिलनी है तो सीढ़ी क्यों नहीं.
पता है मैं पेपर में क्या खोजता हूँ ..... की आज स्कूल बंद है की नहीं...
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment